मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत Pe Laakhon Salaam Lyrics in Hindi

Mustafa Jaan-e-Rahmat Pe Laakhon Salaam Lyrics in Hindi | मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम लिरिक्स हिंदी मैं: मुस्तफा जान-ए-रहमत पे लाखोन सलाम एक इस्लामी गीत / दुआ है जो पूरी दुनिया में इस्लामी समुदाय के बीच लोकप्रिय है। मुस्तफा जान-ए-रहमत पे लाखोन सलाम गीत की भाषा उर्दू है और आतिफ असलम सहित विभिन्न कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की जाती है, विभिन्न कलाकारों द्वारा प्रस्तुत YouTube पर देखने के लिए कई वीडियो उपलब्ध हैं। गीत / दुआ हज़रत मुहम्मद (PBUH) को समर्पित है। Mustafa Jaan-e-Rahmat Pe Laakhon Salaam Lyrics in Hindi नीचे दिए गए हैं।

मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम गीत का विवरण

  • विवरण: मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम लिरिक्स हिंदी मैं | Mustafa Jaan-e-Rahmat Pe Laakhon Salaam Lyrics in Hindi
  • गाने/दुआ का नाम: मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम
  • समर्पित: हज़रत मुहम्मद (PBUH)
  • लोकप्रियता: दुनिया भर में इस्लामी समुदाय के बीच
  • भाषा: उर्दू

Mustafa Jaan-e-Rahmat Pe Laakhon Salaam Lyrics in Hindi | मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम लिरिक्स हिंदी मैं

मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम, Mustafa Jaan-e-Rahmat Pe Laakhon Salaam Lyrics in Hindi

मुस्तफा जान ए रहमत पे लाखो सलाम;
शममे बजमे हिदायत पे लाखो सलाम।

महरे चरखे नुबुव्वत पे रौशन दुरूद;
घुल ए बाग ए रिसालात पे लाखो सलाम।

शहरे यारे ईरम तजदारे हराम;
नौ बहार ए शफ़ात पे लाखो सलाम।

शब ए असर के दूल्हा पे दा-इम दुरूद;
नौशा ए बजमे जन्नत पे लाखो सलाम।

अर्श की ज़ेबो जीनत पे अर्शी दुरूद,
फ़र्श की तीबो नुज़हत पे लाखो सलाम।

नूर ए ऐन ए लताफत पे अल्ताफ दुरूद,
जैबो नैन नजफत पे लाखो सलाम।

सर्वे नाज़ ए किदा माय मग़ज़े राज़े हिकम;
याक्का ताज़े फ़ज़ीलत पे लाखो सलाम।

नुक्ता ए सिर्रे वहदत ले याक्त दुरूद,
मरकज़े दौर क़सरत पे लाखो सलाम।

साहिबे राजते शम्सो सक़क़ुल क़मर,
नायब ए दस्ते क़ुदरत पे लाखो सलाम।

जिस्के जेरे लिवा अदमो एन सिवाउस
सदा ए सियादत पे लाखो सलाम।

अर्श या फ़र्श है जिसके ज़ेरे नगीन
उसकी क़ाहिर रियासत पे लाखो सलाम।

असली हर बूदो बहबूद तकमे वजूद;
कासिम ए कान्ज़ नीमत पे लाखो सलाम।

फते बाब ए नुबुव्वत पे बेहद दुरूद;
खतमे दौर ए रिसालत पे लाखो सलाम।

शर्के अनवारे क़ुदरत पे नूरी दुरूद;
फत-हे आज हरे कुर्बत पे लाखो सलाम।

बे सहीमो क़सिमो दिलो मसील
जौहर ए फरदे इज्जत पे लाखो सलाम।

सिर्रे ग़ैब ए हिदायत पे ग़ैबी दुरूद;
इतरे जैबे निहायत पे लाखो सलाम।

माहे लहूते खिलवत पे लाखो दुरूद;
शाहे नासूत ए जलवत पे लाखो सलाम।

कांज़े हर बेकासो बनावा पर दुरूद
हर रफ्ता ताक़त पे लाखो सलाम।

पारतवे इसमे ज़ाते अहद पर दुरूद
नुस्खा ए जमीयत पे लाखो सलाम।

मत-ला’ए हर सादात पे असद दुरूद
मकते हर सियादत पे लाखो सलाम।

खाल के दादरस सबके फरियाद रास
कहफे रोज़े मुसिबत पे लाखो सलाम।

मुझसे बेकस की दौलत पे लाखो दुरूद;
मुझसे बेबस की क़व्वत पे लाखो सलाम।

शममे बज़्मे दना हु मैं गम कुन आना;
शार-हे मतने हुवियत पे लाखो सलाम।

इंतिहा ए दायी इब्तिदा ए याकी,
जमा तफरीको कसरत पे लाखो सलाम।

कसरत ए बाद ए क़िलत पे अक्सर दुरूद,
इज्जत बड़े ज़िलत पे लाखो सलाम।

रब्ब ए आला की नीमत पे आला दुरूद,
हक ताआला की मिन्नत पे लाखो सलाम।

हम गरिबो के आका पे बेहद दुरूद;
बम फकीरी की सरवत पे लाखो सलाम।

फरहते जाने मो’मिन पे बेहद दुरूद;
गैज़े कल्बे जलालत पे लाखो सलाम।

सब्‍बे हर सब मुन्‍ताहा ए तलब इल्लते
जुलमो इल्लत पे लाखो सलाम।

मसदर ए मुझरियात पे अजहर दुरूद;
मजहर ए मसदरियत पे लाखो सलाम।

जिसके जलवे से मुरझाई कलियां खिला
उस गुल ए पाक मिम्बत पे लाखो सलाम।

क़द्दे बे-साया के साया ए मरहमति
जिल्ले ममदुद ए रफत पे लाखो सलाम।

तैरन ए क़ुद्स जिसी है कुमरियां उस
सही सर्वे कामत पे लाखो सलाम।

वास्फ जिस्का है आईना ए हकनुमा
उस खुदा साज़ तलत पे लाखो सलाम।

जिसके आगे सारे सरवर खाम रहेउस
सारे ताजे रिफात पे लाखो सलाम।

वो करम की घटा घेसु ए मुशक सा
लक्का ए अबरे रफत पे लाखो सलाम।

लैलतुल क़द्र में मतलैल फजरे हक,
मांग की इस्तिक़ामत पे लाखो सलाम।

लाखते लखते दिल हर जिगर चक सेशाना
करने की हालत पे लाखो सलाम।

दुर और नजदीक नज़र के सुन्ने वाले वो कान;
कान ए ला’ले करमत पे लाखो सलाम।

चश्मा ए मेहर में मौजे नूर ए जलाल;
उस राघे हशमियात पे लाखो सलाम।

जिस्के माथे शफात का सेहरा रहा
उस जबीन ए सआदत पे लाखो सलाम।

जिन्के सजदे को महराब ए काबा झुकीउन
भावों की लताफत पे लाखो सलाम।

उनकी आंखें पे वो साया अफगान मिज़ा;
जिला ए क़स्र ए रहमत पे लाखो सलाम।

अश्क़ बारी ए मिज़गान पे बरसे
दुरूदसिल्के दुरे शफात पे लाखो सलाम।

माना ए कद रा-आ। मकसद ए मा तगा
नरगिस ए बाघे क़ुदरत पे लाखो सलाम।

जिस तरफ उठ गई दम में दम आ गया
उस निगाह इनायत पे लाखो सलाम।

निचे आंखों की शर्मो हया पर दुरूद,
ऊंची बनी की रिफात पे लाखो सलाम।

जिंके आगे चरागे कमर झिलमिलये
उन अज़ारो की तलत पे लाखो सलाम।

उनके खाद की सुहुलत पे बेहद दुरूद,
उनके कद की रिशकत पे लाखो सलाम।

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  • मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम लिरिक्स हिंदी मैं मुझे कहाँ मिलेगा?
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